इंतजार…

पल मुठ्ठी से इस तरह फिसल गाये है

कब सुबह अंधेरे में बदल गायी है

ना रस्ता याद ना आशिया का पता

खामोशियों का शोर असमा में पिघल गया है।

तभी से अभी तक दिए जल गए

रास्ता ताक रही निगाहे

कदमों की आहट सुनने के लिए बेकरार

ठंड पड़ी कॉफ़ी का कप,

कुछ बिखरा सिगरेट का धुआं

और बाचा है टेबल पर अब

सिर्फ इंतजार…

trupti nayak, Pune

March 26,2023

#trupick #truessence #thewait